Posts

Showing posts from November, 2018

मैं द्विवेदी हूं, ब्राह्मण नहीं।

Anshuman Dwivedi The Listener Career Consultant and Motivator चुनावी माहौल है। छत्तीसगढ़ में वोट पड़ चुके है। मिजोरम और मध्य प्रदेश में आज वोटिंग हो रही है। राजस्थान में अगले महीने वोट पड़ेगें। कल रात साढ़े 10 बजे एक टीवी चैनल के माध्यम से पता चला कि कांग्रेस और भाजपा ,  चैनल की ही भाषा में, " ब्राह्मण शरणम् गच्छामि "  है। सामान्य जानकारी का विषय है कि जाति की पहचान अमूमन उपनाम से होती है। जैसे ब्राह्मणों की पहचान द्विवेदी,   जोशी,   मिश्रा,   त्रिपाठी ,  वाजपेयी ,  शर्मा ,  आदि। मेरे नाम के साथ भी द्विवेदी लगा है। इस कारण मैं भी ब्राह्मण हुआ। कल न्यूज सुनने से लेकर अभी तक मैं लगातार यह सोच रहा हूं कि द्विवेदी लिखने के कारण ही मैं ब्राह्मण हूं या ब्राह्मण होने के नाते मेरे नाम के साथ द्विवेदी लिखा हुआ है। सच यह है कि मेरे नाम के साथ द्विवेदी तब लिख गया था जब मेरे कर्म से संसार का परिचय होना बाकी था। अब जब मैं अपने जीवन का पुनरावलोकन कर रहा हूं तो पाता हूं कि हाइस्कूल,   इंटर,   बीएससी,   एमए और प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी के दौरान मेरे सैकड़ों सहपाठी ऐसे रहे ह

हिन्दू होने का मतलब

Anshuman Dwivedi The Listener Career Consultant and Motivator हिन्दू शब्द इतिहास , भूगोल और संस्कृति सापेक्ष है। सिंधु नदी से जुड़ने के कारण भूगोल से जुड़ता है, साझे पूर्वजों से जुड़ने के कारण इतिहास सापेक्ष है और ख़ास तरीके की परंपरा और संस्कार से जुड़ने के कारण यह संस्कृति सापेक्ष है। हिन्दू होने का सबसे बड़ा सुख है मानव जिज्ञासा की निर्बाध और अनंत उड़ान। हिन्दू होना समूहगतता  के साथ  एक निजी अनुभूति भी है। एक ख़ास प्रकार का साहस। ईश्वर के अस्तित्व को प्रश्नगत करने का साहस। हिन्दू होना एक साथ ही  महाकाव्य है तो एक लघु प्रेमगीत भी। हिन्दू होना जहाँ एक ओर महाकाव्यीय सार्वभौमिकता (Epical Universality) है वहीँ एक प्रेमगीतात्मक निज-निष्ठता(Lyrical Individuality) भी। प्रेय और श्रेय का मीठा और लवणीय घोल है हिन्दू होना।  सामाजिक मर्यादा (Social Modesty) और एकांतिक स्वच्छंदता  (Individual Freedom) के आश्चर्यजनक संतुलन का नाम हिन्दू होना है। करोड़ों देवताओं की मूर्तियों के अम्बार , परम्पराओं और कर्मकांडों की सघनता के बीच से जब कोई मन चेतना के धरातल पर असीम को जानने की जिज्ञासा के साथ अनंत क

गौ, गंगा, ऋषि और कृषि

Anshuman Dwivedi The Listener Career Consultant and Motivator गंगा अब वार्षिक धारा नहीं रही। गांवों  के ज्यादातर कुएँ सूख गए है। तालाब या तो खेत में बदल गए है या उनपर मकान बन गए है। गंगा की सहायक नदियों का हाल गंगा से भी बुरा है। गंगा का उद्गम हिमालय स्थित गोमुख है। सुखद किन्तु आश्चर्य है कि  मध्य प्रदेश की नदियां उत्तर प्रदेश में  बहने वाली नदियों की तुलना में अधिक अविरल और निर्मल है। जबकि  मध्य प्रदेश की किसी  नदी का स्रोत हिमनद नहीं  है। वहां की नदियों का अधिकांश जल स्रोत वन एवं जंगल है। गंगा के सतत प्रवाह का टूटना, बचे हुए जल का सड़ना, कुओं तालाबों का सूखना सबका कारण हमारी अप्राकृतिक जीवन शैली है। गांवों का विकास एवं समृद्धि एक राजनैतिक नारेबाजी है। थोक वोट बैंक की राजनीति  का ढोंग। ऋषि, कृषि, गौ, गंगा भारतीय संस्कृति के समवेत  और अखंडित स्वर है। ये चरों या तो एक ही साथ सधेंगे या एक ही साथ बिखरेंगे। इनमें से किसी एक को बाकी तीनो की उपेक्षा कर नहीं बचाया जा सकता।बिना ऋषि कृषि को अपनाये गौ  रक्षा और गंगा सफाई अभियान का नारा झूठ  और बेमानी के  सिवा कुछ नही है।  भारत

काशी बनाम दिल्ली

Anshuman Dwivedi The Listener Career Consultant and Motivator वाराणसी भारत की सांस्कृतिक राजधानी है , ऐसा कहा जाता है। हज़ारों वर्षों से काशी भारत के श्रद्धालुओं के आकर्षण का केंद्र रही है। तीर्थराज प्रयाग गंगा-यमुना-सरस्वती की त्रिवेणी पर स्थित है। यहाँ पर प्रति १२ वर्ष में दुनिया का सबसे बड़ा जन समागम होता है।  यह भी संस्कृति का केंद्र है। गोमुख से लेकर गंगा सागर तक गंगा की अविरल धारा भारत की संस्कृति की भी धारा है। प्राचीन काल से आज तक दिल्ली अामूमन भारत की राजनैतिक राजधानी रही है।  मध्यकाल में कुछ समय के लिए आगरा मुग़लों की राजधानी रही। दिल्ली यमुना के किनारे बसी है।  हम कह सकते है कि यमुना की धारा भारत की राजनीति  की धारा है। महाभारत के भीष्म गंगा पुत्र है, अखंड ब्रह्मचारी , सर्वोत्कृष्ट योद्धा।  वह सत्ताधीश  नहीं है। वह सत्ता को चरित्र देते है। सत्ता को अखंड और अक्षुण रखने का व्रत लेते है।  वाराणसी और प्रयाग दिल्ली (सत्ता) के चरित्र स्थल है। दिल्ली पर वाराणसी और प्रयाग  का नियंत्रण होना चाहिए न कि इसके उलट। यमुना का अवांछित मल गंगा को भ्रष्ट करता है। ठीक इसी तरह दिल्ली क

प्रियंका

Anshuman Dwivedi The Listener Career Consultant and Motivator इत्तिफाक है कि प्रियंका चोपड़ा की शादी है और हमारी प्रियंका की भी। प्रियंका उस लड़की का नाम है जो हमारे घर में साफ-सफाई चौका बर्तन करती है। प्रियंका की उम्र करीब 18-19 साल है , हमारी बेटियों गौरी , वृंदा के बराबर। एकदम दुबली-पतली छरेहरी सी बच्ची। पक्का साँवला रंग। किसी भी वैश्विक सौन्दर्य प्रतिस्पर्धा में शायद प्रियंका को अपने शरीर-सौष्ठव के लिए सर्वश्रेष्ठ होने का सम्मान मिले। कुल जमा 40-42 किलो उसका वजन एकदम दुबली-पतली। प्रियंका चोपड़ा के बारे में सबलोग जानते हैं उनकी शादी तय हुई  है। कब मार्केटिंग कर रहीं है। कहां विवाह का आयोजन होगा ? शादी का जोड़ा कहां से खरीदेगी और कितने का होगा। सबकी नोटिस मे हैं , इसलिए बचे हुए समय में हम प्रियंका के बारे में बात करेगें जो हमारे घर में काम करती है। प्रियंका सीतापुर के किसी गॉव की रहने वाली है। उसकी माँ भी चौका-बर्तन करती है। जब उसकी शादी तय हुई थी तो ससुराल वालों ने उससे कोई मांग नहीं की थी। मुझे मालूम भी ऐसे चला कि घर में मैने एकदिन देखा किं सिलाई मशीन रखी हुई है। ऑनलाइन ‘

सबके राम

  Anshuman Dwivedi The Listener Career Consultant and Motivator भारत भूमि पर दैवीय शक्तियों के अवतरण की भाव प्रवण अभिव्यक्ति का नाम राम है। राम के बिना भारत निस्तेज है। भारत राम को एक अस्तित्व के रूप में नहीं , अस्तित्व के कारण के रूप में देखता है। राम के बिना भारत का समस्त अस्तित्व अकारण है। भारत की समस्त चेतना और भारत के आध्यात्मिक चैतन्य की वजह का नाम राम है। राम कोई सम्प्रदाय नही है। राम एक विशेषण है , एक चरित्र है। विशेषणों और चरित्रों के सम्प्रदाय नहीं होते हैं। शील और मर्यादा पांथिक नही होती। ईमानदारी , सच्चाई , करुणा , प्रेम , श्रद्धा देश-काल से बंधे हुए मानवीय अलंकार नहीं है। इन्हें न सम्प्रदाय में बांटा जा सकता है और न ही देशों में। करुणामयी माँ अच्छी है , निष्कलुश पिता अच्छा है , सामर्थ्यवान गुरु सबको चाहिए , इन्हें हिन्दू मुसलमान में नहीं बांटा जा सकता। राम जैसा पुत्र , राम जैसा पती , राम जैसा बेटा , राम जैसा सखा किसी की भी कल्पना का आलंबन हो सकता है। हिन्दू-मुसलमान का फरक नही। एक मुसलमान को भी राम जैसा पुत्र चाहिए , एक मुस्लिम औरत को भी राम जैसा पती चाहिए। कबीर

The Real Realm of a woman

Anshuman Dwivedi The Listener Career Consultant and Motivator Women empowerment is generally taken as to make woman share power --- to accommodate a woman in the power-sharing politics, bureaucracy, corporations, etc. The real purpose behind the woman empowerment is not to make woman stakeholder of power politics, instead, women empowerment should bring those values on the steering wheel that makes a woman, woman. Women empowerment is one where a woman has a space of her choice, not being accommodated. A world where her individuality is uncompromised. A world safe for her and her child. Where she is not supposed to look at the clock before going on an errand. Where she can tete-a-tete with her pal without fear of a dirty ogle. Where she feels free to giggle. A real women empowerment is when she does not feel fire-ball in her head and salt in her throat while passing through a crowded bazaar. Women empowerment is one when she gets a college where she has not to put