काशी बनाम दिल्ली

Anshuman Dwivedi
The Listener
Career Consultant and Motivator

वाराणसी भारत की सांस्कृतिक राजधानी है , ऐसा कहा जाता है। हज़ारों वर्षों से काशी भारत के श्रद्धालुओं के आकर्षण का केंद्र रही है। तीर्थराज प्रयाग गंगा-यमुना-सरस्वती की त्रिवेणी पर स्थित है। यहाँ पर प्रति १२ वर्ष में दुनिया का सबसे बड़ा जन समागम होता है।  यह भी संस्कृति का केंद्र है। गोमुख से लेकर गंगा सागर तक गंगा की अविरल धारा भारत की संस्कृति की भी धारा है। प्राचीन काल से आज तक दिल्ली अामूमन भारत की राजनैतिक राजधानी रही है।  मध्यकाल में कुछ समय के लिए आगरा मुग़लों की राजधानी रही। दिल्ली यमुना के किनारे बसी है।  हम कह सकते है कि यमुना की धारा भारत की राजनीति  की धारा है।

महाभारत के भीष्म गंगा पुत्र है, अखंड ब्रह्मचारी , सर्वोत्कृष्ट योद्धा।  वह सत्ताधीश  नहीं है। वह सत्ता को चरित्र देते है। सत्ता को अखंड और अक्षुण रखने का व्रत लेते है।  वाराणसी और प्रयाग दिल्ली (सत्ता) के चरित्र स्थल है। दिल्ली पर वाराणसी और प्रयाग  का नियंत्रण होना चाहिए न कि इसके उलट। यमुना का अवांछित मल गंगा को भ्रष्ट करता है। ठीक इसी तरह दिल्ली का अप्रिय हस्तक्षेप काशी और प्रयाग को हज़ारों वर्षों से  मलिन और कलंकित कर रहा है। आगरा सहित दिल्ली के  सत्ताधीशों ने काशी पर जबरन कब्ज़े किये है और उसकी आभा को निस्तेज करने का काम किया है--- तुर्कों ने, मुग़लों ने,अंग्रेज़ों ने और स्वतन्त्र भारत की लोकतंत्री  सरकारों ने भी।

संसार जानता है कि दिल्ली के आस-पास की यमुना एक  विशाल नाला है -- कल्पनातीत मलमूत्र , कीचड़ , दुर्गन्ध से पटा बदबूदार नाला । क्या दिल्ली को साफ़ नदी की ज़रुरत नहीं है ? और , क्या यमुना(राजनीति) को साफ़ किये बिना गंगा (संस्कृति) साफ़ हो सकती है ? यमुना को साफ़ किये बगैर काशी में गंगा साफ़ करने का संकल्प कभी भी पूरा नहीं हो सकता।

गंगा की गन्दगी सांस्कृतिक स्खलन का परिणाम है -- गलत जीवन शैली की अनिवार्य परिणति। गंगा न ही सरकार  ने गन्दी की है और न कोई सरकार उसे साफ़ कर सकती है। इसलिए जो कोई भी सरकार  वादा करेगी उसे अवश्य ही वादाखिलाफी का दोषी भी बनना पड़ेगा। हमारा सुझाव यह है कि सरकारें यमुना को साफ़ करने का प्रयास करें और गंगा की अविरलता की ज़िम्मेदारी जन सामान्य पर छोड़ दे। हकीकत यह  है कि सारे सरकारी प्रयास नदी की निर्मलता पर केंद्रित है। जबकि , होना यह चाहिए कि पहले यह चिंता की जाये कि गंगा कैसे सतत प्रवाही बने। इसके लिए जो प्रयास करने पड़ेंगे वे सरकारी सामर्थ्य से परे है। अतः , सभी भरतजनो की तरफ से हम प्रार्थना करते है कि २०१९ की लोक सभा में चुने जाने वाले सारे लोक सभा सांसद शपथ ग्रहण करने से पूर्व दिल्ली में यमुना स्नान करेंगे इस बात का व्रत लें।

Comments

  1. Very well expressed and an extremely vital issue for BHARAT. Unfortunately those who have been and who are in power have never been sensitive to Ganga Yamuna .... And the worst is that the people are even more insensitive. BHARAT needs a dedicated devoted campaign and truthful effort to restore and preserve the sanctity and purity of all the rivers and conserve natural green environment....

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  2. Sir kya sarkar ko Bari karna theek hoga!

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    1. Government is not exonerated its incompetency is underlined.
      सरकार की असमर्थता रेखांकित की गई है बरी नहीं की गयी।

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  3. Ganga ko Saaf rkhna sbhi ka dharm hai

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