पाकिस्तान राष्ट्र नहीं एक नकारात्मक सोच है।

Anshuman Dwivedi
The Listener
Career Consultant and Motivator

जब से पाकिस्तान बना है तब से सदा  भारत ही हारा है। पाकिस्तान बनना  भारत की हार ही थी। पाकिस्तान बनने के बाद भारत की सेना ने पाकिस्तानी सेना को हरा कर चार युद्ध जीते, किन्तु भारत हारा। जब तक मूल-भूल का सुधार नहीं होगा भारत हारता ही रहेगा। पाकिस्तान कोइ प्राकृतिक देश नही है। न ही पाकिस्तान की मांग स्वाभाविक थी और न ही पाकिस्तान का निर्माण। वर्ना क्या वजह है कि पाकिस्तान की मांग पूरी होने पर भी बनने के साथ ही पाकिस्तान भारत से लड़ रहा है। वास्तव में पाकिस्तान भारत ही है जिसपर कट्टरपंथी आतंकवादियों का नाजायज़ कब्ज़ा है। हमे यह स्पष्ट रूप से स्वीकार करना होगा कि अभी भी पाकिस्तान में बहुत बड़ा भारत बसता है और भारत में भी एक छोटा सा पाकिस्तान। कुछ कट्टरपंथियों की मांग पर उस भूभाग पर पाकिस्तान का निर्माण  किया गया जहाँ की ९०% जनसँख्या पाकिस्तान की विरोधी थी। अधिकतर उन कट्टरपंथी मुसलमानों ने पाकिस्तान की मांग की थी और उसे बनवाया था जो भौगोलिक रूप से आज के पाकिस्तान के निवासी नहीं थे। वो भारत के अन्य क्षेत्रों से जा कर पाकिस्तान में बसे और सीमा के दोनों ओर  बसे  भारतियों की आँख की रेत बन गए।  और, कुछ ऐसे भी रहे जो पाकिस्तान नहीं जा पाए लेकिन पाकिस्तान जिनका सपना था।

सच्चाई यह है कि ऐसे फिरकापरस्त और नकारात्मक शक्तियां कश्मीर को मोहरा बना कर भारत में फिर से एक नया पाकिस्तान बनाना चाहती है। देखने वाली बात होगी कि आने वाले समय में इतिहास किस के पक्ष में खड़ा होता है। पाकिस्तान बनाने वालों के दिल बढे हुए है।  उनका पक्का विश्वास है कि जब एक बार भारत का राजनैतिक नेतृत्व उनकी हिंसा के सामने घुटने टेक  चुका  है और पाकिस्तान बनने की बात को  मान  चुका   है तो ऐसा एक बार फिर क्यों नहीं हो सकता ? जब एक सांप्रदायिक हिंसा की समस्या का निदान भारत विभाजन हो सकता है तो दूसरी हिंसा का क्यों नहीं? चार युद्ध जीत कर भी हम क्यों हारे इसका उत्तर यह है कि युद्ध जीत कर भी भूल को सुधरने का प्रयास नहीं किया गया--- विभाजित भारत को एक नहीं किया गया।

युद्ध जीत कर भी 1947 की मूल-भूल को एक महान यथार्थ के रूप में और सच्चाई के रूप में स्वीकार किया गया। भारत चाहे जितने युद्ध लड़ ले किन्तु जब तक कोई युद्ध 1947 की भूल को सुधरने के लिए नहीं लड़ा जायेगा तब तक  भारत युद्ध जीत कर भी जीतेगा नही। और दोनों ओर का झूठा पाकिस्तान एक नए पाकिस्तान का सपना देखता ही रहेगा। 1947 में पाकिस्तान बनाना गलती थी और उससे बड़ी गलती यह थी कि पाकिस्तान में बसे भारतीयों  के लिए हमारे दिल में कोई परवाह या चिंता न होना। क्रमशः वह आतंकवादियों के शिकंजे में आते गए और धीरे-धीरे पूरा-का-पूरा बंटा हुआ भारत आतंकवादियों के गिरफ्त में आ गया। जब तक बंटे  हुए भारत को आतंकवादियों से मुक्त और स्वतंत्र नहीं करेंगे  और भारत में बसे  पाकिस्तानियों  के हौसलों को कुंद नहीं करेंगे  हमारे निर्दोष नागरिक व् सैनिक मरते रहेंगे। ज़रूरी यह भी है कि भारतीयता और राष्ट्रीयता की पहचान को मज़हब से अलग रखा जाये। 1857 में  राष्ट्रीयता का सबसे बड़ा स्मारक बहादुर शाह ज़फर एक मुसलमान था।   भारत और भारतीयता अधिकांश भारतीयों की दिल की धड़कन है।  मज़हब सिर्फ इबादत का तरीका देता है नयी राष्ट्रीयता नहीं देता, और न ही गैर-भारतीयता। अखंड भारत, समर्थ भारत सभी का सपना है।  चाहे वो सपना नमाज़ के सजदे में देखा जाये या पूजा के साष्टांग-दंडवत में।


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Comments

  1. बहुत सुंदर सर जी।

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  2. Indeed it was not mere the division of geographical land...but undoubtedly was the division of hearts followed by macabre holocaust

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  3. Beautiful narrative.... Befitting to the times.... Kaash har Bhartiya iss to samjhey aur iss par amal karney ki koshish karey.... Aameen

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